दो ढाई बजे रात जब सब सो रहे हैं कुत्ते भी मेरा मन करता है जोर की आवाज लगाऊँ दसों दिशाओं को कँपा देनेवाली आवाज चुप्पियों को चीरकर रख देनेवाली चाँद के गूँगेपन के खिलाफ एक आवाज इस घोर सन्नाटे को भंग करके मैं परिणाम की प्रतीक्षा करना चाहती हूँ
हिंदी समय में आरती की रचनाएँ